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लेखनी कहानी -09-Dec-2022

🌹🌹🌹स्वैच्छिक समर्पण🌹🌹🌹



उसका यू दुख प्रकट करना अंदर का गुबार था ।

उसकि जीवन रूपी गाड़ी  अनसुलझी पहेली का हिस्सा था। 

चोट इतनी ज्यादा थी की  जबा पर  स्वेच्छा से मुखरित थी।

सामने कोई टिक ना सका, क्योंकि लेखनी तलवार से ज्यादा  पेनी थी।



लावा सा बह रहा था,  दुखों की अकूत  निधि थी।

अंतरात्मा स्वैच्छिक रूप से घायल थी।

आंखों से अश्रुपूरित नीर बह रहे थे।

तभी एक सच्चा राहगीर मिला जो उसके  नीर को  पोछना चाहता था।

 सच्चा सुख देने की इच्छा रखता था।

लेकिन दिल की चोट के कारण खुद्दारी ने उसे झटक दिया।

तदुपरांत जब दिल की लहरें शांत हुई तो वह स्वेच्छा से उसकी बाहों में थी।

लगा स्वर्ग मिल गया,  नीर का तो आंखों में दूर तक निशान न था।

आज उसने अपने सारे दुख दर्दों  पर विजय जो प्राप्त कर ली थी।

विजय पोखरणा "यस"
09.12.2022

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11 Comments

Pranali shrivastava

10-Dec-2022 07:58 PM

बहुत खूब

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VIJAY POKHARNA "यस"

11-Dec-2022 08:33 AM

,🙏🏻🙏🏻

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VIJAY POKHARNA "यस"

11-Dec-2022 08:33 AM

🙏🏻🙏🏻

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Aditi “Noorie” Jain

10-Dec-2022 05:32 PM

बेहद खूबसूरत

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VIJAY POKHARNA "यस"

11-Dec-2022 08:34 AM

🙏🏻🙏🏻

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शानदार प्रस्तुति 👌

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VIJAY POKHARNA "यस"

11-Dec-2022 08:34 AM

🙏🏻🙏🏻

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